۴ آذر ۱۴۰۳ |۲۲ جمادی‌الاول ۱۴۴۶ | Nov 24, 2024
मौलाना

हौज़ा/लखनऊ ,गोलागंज स्थित मस्जिद मीर हैदर हुसैन में नमाज़े मगरिब के बाद सैय्यद अबुल हसन ज़ैदी मरहूम की बरसी की मजलिस आयोजित हुई जिसको मौलाना फिरोज़ अली बनारसी ने संबोधित किया।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,मौलाना फिरोज़ अली बनारसी ने मजलिस को संबोधित करते हुए कहा कि मनुष्य की सफलता ईश्वर की इबादत करने और उससे जुड़े रहने में है। जब पापों के कारण सृष्टिकर्ता के साथ संबंध टूटा या कमज़ोर हो, तो मनुष्य को निराश नहीं होना चाहिए, बल्कि अपने पापों को स्वीकार करना चाहिए और पश्चाताप और क्षमा के माध्यम से इस संबंध को फिर से मज़बूत करना चाहिए ताकि दयालु और दयालु भगवान की दया और क्षमा उसके साथ हो।

मौलाना ने कहा इस प्रकार, जब भी कोई व्यक्ति पश्चाताप करता है और क्षमा मांगता है और ईश्वर से प्रार्थना करता है तो उसकी दया का द्वार खुला रहता है। लेकिन कुछ ऐसे स्थान और समय होते हैं जहां उसकी दया ऐसे बंदे पर फैली हुई है और कहते हैं ऐ बंदे!ईश्वर की दया से निराश न हों कि वह आपके सभी पापों को क्षमा कर देगा।

उनके दिनों में अरफा का एक दिन होता है और स्थानों में अरफात और कर्बला का मैदान होता है। ऐसे क्षणों में इमाम हुसैन (अ०) जैसे निर्दोष लोगों द्वारा ईश्वरीय दरबार में पश्चाताप के लिए बोले गए शब्द यदि गूंगे की भाषा बन जाते हैं तो पश्चाताप की स्वीकृति निश्चित हो जाती है। इमाम हुसैन की दुआए अरफ़ा ईश्वर के ज्ञान का सागर है।

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